आज के ज़माने में किसी की पीठ पीछे बुराई करना एक आम बात है और मित्र अपनी वफादारी का सुबूत देने के लिए आपके पास आ के वो सब बताते हैं की कौन आप...
आज के ज़माने में किसी की पीठ पीछे बुराई करना एक आम बात है और मित्र अपनी वफादारी का सुबूत देने के लिए आपके पास आ के वो सब बताते हैं की कौन आपके पीठ पीछे आपके बारे में क्या कह रहा था ? देखने में तो ऐसा लगता है की यह जो आपको खबर दे रहे हैं यह आपके शुभचिंतक है लेकिन ज़रा ध्यान से देखिये क्या यह सच में आपके शुभचिंतक है ?


सबसे पहले तो यह जान लीजे की मशहूर है की पीठ पीछे बुराई करना चुगलखोरी करना इलज़ाम लगाना , तोहमत लगाना यह सब वो इंसान करता है आपके लिए जो आपसे कमज़ोर है | अब एक कमज़ोर शख्स आपके पीठ पीछे आपकी बुराई करता फिरता है लेकिन आपको पता नहीं चलता तो आप खुश है आपको कोई टेंशन नहीं या आपको एहसास है भी इस बात का तो भी अपने सब्र कर लिया है | दोनों हाल में ख़ुशी आपकी महफूज़ है |
एक बार हज़रत मुहम्मद (स) के घराने के मुसलमानो के इमाम ज़ैनुलआबेदीन (अ ) से किसी शख्स ने हमदर्दी में आ के बताया की आपकी फुलां शख्स बुराई कर रहा था | लेकिन उस शख्स ने देखा की इमाम के चेहरे पे नापसंदगी के आसार दिखने लगे | ऐसे में उस शख्स ने घबरा के पुछा क्या इमाम मैंने कोई ग़लत काम किया ?
इमाम ने फ़रमाया ऐ शख्स तूने मेरी मदद नहीं बल्कि उस शख्स की मदद की है जो मेरी बुराई पीठ पीछे करता है | उस शख्स ने फिर पुछा कैसे ?
इमाम ने फ़रमाया एक कमज़ोर शख्स जो मेरा कोई नुकसान नहीं कर सकता था मेरे सीने पे तीर चलाने की ख्वाहिश रखता था और जब न चला सका तो उसने अँधेरे में तीर चलाया मेरी बुराई पीठ पीछे कर के | अब तू अगर उसकी बात मुझे ना बताता तो उसका तीर मुझ तक नहीं आता लेकिन तूने उसके अँधेरे में चलाय तीर को ला के मेरे सीने में मार दिया और अब मैं तकलीफ में हूँ | तू अगर मेरा सच्चा दोस्त होता तो उस शख्स को जवाब देता की जो तू कह रहा है ऐसा नहीं है लेकिन तू वहाँ चुप रहा और यहां मुझे बता के मेरे सीने को ज़ख़्मी कर रहा है |
वो शख्स शर्मिंदा हुआ माफ़ी मांगी |
इसलिए कोई भी किसी की पीठ पीछे बुराई करे तो उसे इधर उधर करते हुए उसकी मदद ना करें |
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