पेश ए खिदमत है "अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें की सातवीं पेशकश..हर दिल अज़ीज़ ....... तारकेश्वर गिरि .... एस.एम.मासूम ...
पेश ए खिदमत है "अमन के पैग़ाम पे सितारों की तरह चमकें की सातवीं पेशकश..हर दिल अज़ीज़ .......तारकेश्वर गिरि ....एस.एम.मासूम
एक जमाना था जब महात्मा गाँधी जी ने शांति का बीड़ा उठाया था तो उस से हिंदुस्तान को तो आजादी मिली ही साथ मैं साउथ अफ्रीका जैसे पिछड़े हुए देश के लोगो को भी फायदा मिला। जिसका नतीजा आज हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पुरे संसार में महात्मा गाँधी जी के विचारो को लोग पढ़ते हैं, तथा अपने जीवन
मैं लागु भी करते हैं। मेरा अनुरोध है सभी भाई बहनों से ,मासूम साहब के चलाए इस इस अमन के पैग़ाम को मिल के आगे बढाएं. क्योंकि इसका असर अभी से ब्लॉगजगत मैं दिखने लगा है .
एक सज्जन पुरुष रस्ते में जा रहे थे , तभी सामने से एक सज्जन और आये और दोनों आपस में टकरा गये , और टकराने के बाद माफ़ी तो किसी ने भी नहीं मांगी हाँ आपस में तू- तू मैं -मैं जरुर चालू हो गई। कुछ देर बाद दोनों सज्जन के बीच गाली -गलौज और शुरू होगी , तभी उस एरिया के दरोगा जी और आ
धमके , दरोगा जी ने आव ना देखा ताव दोनों को थाने और भेज दिया। थाने पहुचने के बाद जब दोनों सज्जन पुरुषो को एहसास हुआ कि ये क्या जरा सी बात पर थाने आ गये।
तब जाके दोनों सज्जन महोदय आपस मैं गले मिले। कहने का मतलब कि अगर बात बिगड़ रही हैं तो बिगड़ने ना दे, तुरंत छोटा बन करके उसे संभाल ले , बिगड़ी हुई बात भी तुरंत बन जाती हैं। लेकिन उसके लिए छोटा बनना पड़ता हैं, या कह ले कि झुकना पड़ता हैं।
और यही चीज लागु होती हैं तब जब - हम अमन और शांति कि बात करते हैं। ज्यादा ही लड़ने का शौक हैं तो हमारा देश चारो तरफ से दुश्मनो से घिरा हुआ हैं, कंही चीन तो कंही पाकिस्तान तो कंही बंगलादेश, जा कर के अपना शौक उधर पूरा क्यों नहीं करते हैं।
लेकिन श्रीमान अगर अमन और शांति कि बात करनी हैं, तो सबसे पहले अपने घर से, आप ये देखिये कि पुरे दिन में घर में किस-किस से तू-तू, मैं-मैं होती हैं, सबसे पहले उसे दूर करिए । तभी आप अपने घर से बाहर निकल करके अपने मोहल्ले वालो से शांति कि बात कर सकते हैं, और जिस दिन आपका या हमारा मोहल्ला शांति मय हो गया , उस दिन तो समझ लीजिये कि देश अपने –आप शांति मय हो जायेगा।
वोह इतना पसंद आया की वही मेरा पैग़ाम बन गया. लेकिन इस के लिए झुकना पड़ता हैं, नरम दिल होना पड़ता हैं। दूसरो कि इज्जत करनी पड़ती हैं। समाज में कौन बड़ा हैं और कौन छोटा सबको उसके हिसाब से आदर और प्रेम देना पड़ता हैं।
मेरा अनुरोध है सभी भाई बहनों से ,इस अमन के पैग़ाम को मिल के आगे बढाएं.
.......तारकेश्वर गिरि
एक जमाना था जब महात्मा गाँधी जी ने शांति का बीड़ा उठाया था तो उस से हिंदुस्तान को तो आजादी मिली ही साथ मैं साउथ अफ्रीका जैसे पिछड़े हुए देश के लोगो को भी फायदा मिला। जिसका नतीजा आज हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पुरे संसार में महात्मा गाँधी जी के विचारो को लोग पढ़ते हैं, तथा अपने जीवन
मैं लागु भी करते हैं। मेरा अनुरोध है सभी भाई बहनों से ,मासूम साहब के चलाए इस इस अमन के पैग़ाम को मिल के आगे बढाएं. क्योंकि इसका असर अभी से ब्लॉगजगत मैं दिखने लगा है .
एक सज्जन पुरुष रस्ते में जा रहे थे , तभी सामने से एक सज्जन और आये और दोनों आपस में टकरा गये , और टकराने के बाद माफ़ी तो किसी ने भी नहीं मांगी हाँ आपस में तू- तू मैं -मैं जरुर चालू हो गई। कुछ देर बाद दोनों सज्जन के बीच गाली -गलौज और शुरू होगी , तभी उस एरिया के दरोगा जी और आ
धमके , दरोगा जी ने आव ना देखा ताव दोनों को थाने और भेज दिया। थाने पहुचने के बाद जब दोनों सज्जन पुरुषो को एहसास हुआ कि ये क्या जरा सी बात पर थाने आ गये।
तब जाके दोनों सज्जन महोदय आपस मैं गले मिले। कहने का मतलब कि अगर बात बिगड़ रही हैं तो बिगड़ने ना दे, तुरंत छोटा बन करके उसे संभाल ले , बिगड़ी हुई बात भी तुरंत बन जाती हैं। लेकिन उसके लिए छोटा बनना पड़ता हैं, या कह ले कि झुकना पड़ता हैं।
और यही चीज लागु होती हैं तब जब - हम अमन और शांति कि बात करते हैं। ज्यादा ही लड़ने का शौक हैं तो हमारा देश चारो तरफ से दुश्मनो से घिरा हुआ हैं, कंही चीन तो कंही पाकिस्तान तो कंही बंगलादेश, जा कर के अपना शौक उधर पूरा क्यों नहीं करते हैं।
लेकिन श्रीमान अगर अमन और शांति कि बात करनी हैं, तो सबसे पहले अपने घर से, आप ये देखिये कि पुरे दिन में घर में किस-किस से तू-तू, मैं-मैं होती हैं, सबसे पहले उसे दूर करिए । तभी आप अपने घर से बाहर निकल करके अपने मोहल्ले वालो से शांति कि बात कर सकते हैं, और जिस दिन आपका या हमारा मोहल्ला शांति मय हो गया , उस दिन तो समझ लीजिये कि देश अपने –आप शांति मय हो जायेगा।
मासूम साहब की एक पोस्ट पे मैंने यह शेर पढ़े थे .
“जितना झुकेगा जो, उतना उरूज पाएगा
इमाँ है जिस दिल में, वो बुलन्दी पे जाएगा,
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मेरा अनुरोध है सभी भाई बहनों से ,इस अमन के पैग़ाम को मिल के आगे बढाएं.
.......तारकेश्वर गिरि