बहु को उसके ससुराल वाले मायके क्यों नहीं जाने देते ? अक्सर सुनने में आता है की फुलांन साहब अपनी बहु को उसके मायके नहीं जाने देते या कम जाने ...

बहु को उसके ससुराल वाले मायके क्यों नहीं जाने देते ?
अक्सर सुनने में आता है की फुलांन साहब अपनी बहु को उसके मायके नहीं जाने देते या कम जाने देते है या फ़ोन से बात भी नहीं करने देते | यहां मैं बता दूँ की मैं उनकी बात नहीं कर रहा जो ज़ालिम क़िस्म के सास ससुर होते हैं बल्कि उनकी बात कर रहा हूँ जो अपनी बहु को चाहते हैं और हर तरह से मुहब्बत और प्यार देते हैं फिर भी यह पसंद नहीं करते ही बहु अपने माता पिता के संपर्क में रहे |
हमारे समाज में शादी केवल दो लोगों के आपसी रिश्ते या शादी का नाम नहीं बल्कि दो परिवारों के अपनी संबंधों का नाम हुआ करता है | ऐसे में होना तो यह चाहिए की दोनों परिवार मिल के इस शादी शुदा नए जोड़े की खुशियों का ख्याल रखते हुए हर फैसले किया करें | लड़के वालों को तो अधिक दिक़्क़त नहीं होती क्यों की उन्हें तो किसी की बेटी अपने घर ले के आनी है जो उनके परिवार के उन उसूलों के अनुसार रहेगी जिसके बारे में रिश्ता तय करते समय बताया जा चूका होता है लेकिन लड़की वालों के लिए बड़ी दिक़्क़त होती है की उस बेटी को जिसे पचपन से पाल पोस के बड़ा किया आज उस कलेजे की टुकड़े को किसी और के घर हमेशा के लिए रुखसत कर देना है | यह माता पिता के लिए इतना आसान नहीं हुआ करता जबकि मानसिक रूप से वे लड़की के पैदा होने के तुरंत बाद से तैयार तो होते हैं लेकिन मुहब्बत का क्या करें जो बेटी को दूर जाने नहीं देना चाहता | और यही बेटी से मुहब्बत और उसे पास रखने की ख्वाहिश दोनों परिवारों के आपसी रिश्ते को खराब करने की वजह बनती है |
लड़की वाले शादी के बाद बार बार बेटी को बुलाना चाहते हैं और जब आ जाती है तो उसे विदा करने में देर करते हैं और यहां तक तो फिर भी ठीक है इसके एक क़दम आगे आते हुए वे कोशिश करते हैं की ऐसा कुछ रास्ता निकल आया की दामाद घर जमाई बन जाए और अगर यह ना कर सके तो कोशिश करते हैं की उनकी बेटी अपने ससुराल की सारी बातें बताय और जैसा वे कहें वैसे अपना घर चलाय | यह सब बेटी के माता पिता बेटी की मुहब्बत की वजह से या मानसिक रूप से यह क़ुबूल न कर पाने की वजह से की उनकी बेटो अब किसी और की हो गयी ,किया करते हैं | वे इस बात को क़ुबूल नहीं कर पाते की अब उनकी बेटी उनकी जगह सास ससुर की मर्ज़ी से चले |
बेटी अपने माता पिता पे विश्वास करते हुए उनका सपोर्ट करती है और बस यही से इस नए शादी शुदा जोड़े की दिक़्क़तें शुरू हो जाती है | आपस पे झगडे भी होने लगते हैं और सास ससुर जिस बहु को बेटी की तरह मुहब्बत से घर लाय थे उससे नाराज़ होने लगते है और जब कोई रास्ता नहीं मिलता तो कोशिश करते हैं की बहु अपने मायके वालों के संपर्क में कम आये |
लड़की के माता पिता को चाहिए की अगर बेटी से सच में मुहब्बत है तो उसे यह सिखाएं की अब उसके पति का घर ही उसका घर है और पति पत्नी की आपसी सहमति से परिवार में खुश हाली संभव है | मुहब्बत बेटी से है तो कोशिश करें माता पिता की वो अपने नए परिवार में खुश रहे और पति के साथ रिश्ते अच्छे और मज़बूत होते जाए |
माता पिता को बेटी के परिवार के कामों में दखल अंदाज़ी उस समय तक नहीं करनी चाहिए जब तक यह सच में न महसूस हो की बेटी पे ससुराल में कोई ज़ुल्म हो रहा है |
बेटी को बचपन से तरबियत दें की कैसे ससुराल में जा के अपने अच्छे मिज़ाज और अपनेपन से पति और उसके परिवार को अपना बना ले और सास ससुर को भी यह कोशिश करनी चाहिए की बेटी को ऐसे अपनाएं की वो अपने माता पिता से दूर होने का दुःख भूल जाए और बहु को यह आज़ादी रहे की जब वो चाहे अपने माता पिता से बात कर सकती है मिलने जा सकती है |
यक़ीनन अगर लड़के और लड़की दोनों के परिवार विवाह बंधन में बंधे नए जोड़े की खुशियों का ध्यान रखते हुए फैसले करें तो कभी कोई दिक़्क़त पैदा ही नहीं हो सकती |
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