कुँवर कुसुमेश जी का नाम इस ब्लॉगजगत के लिए एक जाना पहचाना नाम है. इनके कलाम ही इनकी पहचान हैं. यह वोह नाम है जिनसे हम जैसों को हिम्मत मिल...
कुँवर कुसुमेश जी का नाम इस ब्लॉगजगत के लिए एक जाना पहचाना नाम है. इनके कलाम ही इनकी पहचान हैं. यह वोह नाम है जिनसे हम जैसों को हिम्मत मिला करती है...
नया पैग़ाम लेकर आ गईं ठंडी हवाएं भी,
सुबह के साथ ही हाज़िर नई नाज़ुक शुआएं भी.
ग़मे-दौरां से मिल जाएगी राहत दौरे-हाज़िर में,
फ़लक से आयेंगी शायद "कुँवर" ऐसी सदाएं भी.
……..कुँवर कुसुमेश
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भौतिकवाद मानवतावाद को रौंदता चला जा रहा है. इंसानियत कराह रही है. बढ़ते राजनैतिक और सामाजिक उथल-पुथल ने आम आदमी का जीना दुश्वार कर रक्खा है.ऐसे में ज़रुरत है मानवतावाद को समृद्ध करने की,भाईचारे का और अम्न का पैगाम देने की | हमारे भारत का ह्रदय विशाल है.हमारे देश में कई धर्मों के लोग बसते हैं.धर्म अलग अलग है तो ज़ाहिर है सिद्धांतों में कुछ अंतर तो होगा ही.हमें उनमें एक सामंजस्य बनाकर चलना है,न की कमियां गिनाना है.कमियां गिनाने से नफ़रत को पाँव पसारने का मौक़ा मिलता है.दिलों में दरारे पैदा होती हैं . मौजूदा हालात पर मेरा एक शेर हाज़िर है:-
इस क़दर लम्बी दिलों के बीच की दीवार है.
चीन की दीवार इसके सामने बेकार है.
ईद-होली दोनों ही हमको मिलाती है गले,
हैं मक़ासिद एक ही तेरे - मेरे त्यौहार के.
जंग में दोनों ही जानिब से बिखरता है लहू,
जीतने वाला भी जाता है बहुत कुछ हार के.
अजब ब्लॉग दुनिया के भी हैं झमेले,
धड़ा - धड़ यहाँ पोस्टों के हैं रेले.
किसी ब्लॉग पे टिप्पणी हैं पचासों,
कोई लिख के बैठा हुआ है अकेले.
कहीं बात अम्नो-अमाँ की भी देखी,
कई धर्म की आड़ ले ले के खेले.
पुराने सभी हैं गुरु बन के बैठे,
नए ब्लॉग वाले हैं पिछलग्गू-चेले.
'कुँवर' प्यार से टिप्पणी देते जाओ,
भले कोई गुस्सा किसी पे उड़ेले.
इतिहास गवाह है कि टकराहट से अम्न को नुकसान और नफ़रत को हमेशा फायेदा हुआ है. हमें अब ऐसा नहीं होने देना है.
किसी ने खूब कहा है:-
अमनों-अमाँ की धरती भारत की सर ज़मीं है.
अहले-वतन की जन्नत सच मानिये यहीं है.
…………कुँवर कुसुमेश