किसी भी देश की उन्नति या अवनति के लिये पूरी तरह से जिम्मेदारी उसके देशवासियों की होती है । लोग कहते है कि सरकार की नीतियां गलत है । ने...
किसी भी देश की उन्नति या अवनति के लिये पूरी तरह से जिम्मेदारी उसके देशवासियों की होती है । लोग कहते है कि सरकार की नीतियां गलत है । नेता भृष्ट हैं । और भी बहुत कुछ हर किसी को कहते बहुत आसानी से सुना जा सकता है । सरकार की बुराई करते हम नही थकते , मगर क्या हम कभी किसी से अपनी बुराई सुन पाते हैं (जो हम लोगो में होती है) नही । बुराई करना हमारा प्रिय कार्य होता है , मगर दूसरे की अपनी नही । एक प्रश्न उठता है कि आखिर सरकार है क्या – सरकार एक व्यवस्था है , जो उस देश के लोगों के लिये , लोगों के द्वारा चलाई जाती है । तब तो इसका सीधा सा मतलब निकलता है कि कमी लोगों में ही है । अतः इस समय यह नितांत आवश्यक हो जाता है कि हम उन कारणों का विश्लेषण करें जिसके कारण सरकार को दोष दिया जाता है ।
हम सबसे पहले आपका ध्यान देना चाहेंगें महंगाई पर । महंगाई क्यो बढ रही है , क्योकि हम दिन प्रति दिन ज्यादा लालची और गैर जिम्मेदार होते जा रहे हैं । हम ही इसे बढावा देते हैं । एक उदाहरण देती हूँ
ट्रैफिक नियमों के अनुसार एक टैम्पों में ८ सवारी से ज्यादा नही बैठनी चाहिये मगर टैम्पो वाले ११ सवारी से कम पर गाडी ही नही चलाते । और हम सभी किसी ना किसी कारण से इस व्यवस्था के साथ रोज ही चलते हैं । पैसे हम उतने ही देते है जितने ८ सवारियों पर देने होते है । और असर हमारी जेब पर पडता है । हम जब भी जहाँ भी मौका पाते है , बेइमानी करने से पीछे नही हटते ।(कानपुर में तो हमने हमेशा ही ऐसा देखा है )
यकीन करिये अगर आप कभी भी गलत के खिलाफ अपनी आवाज उठाते है तो हो सकता है शुरुआत में कोई आपका साथ ना दे लेकिन कुछ समय के लगातार किये गये प्रयास आपको सफलता और शोहतर जरूर दिलायेंगे ।
दूसरी बात हम रोज ही कहते है कि भृष्टाचार बहुत बढ गया है । हम यह क्यो नही कहते कि हम भृष्ट होते जा रहे है । जब तक हम भृष्ट नही होगें कोई भी देश भृष्ट कैसे हो सकता है ।जमीन के लिये बेटा पिता को भी मारने से नही हिचकिचाता, औरतों की अस्मत के साथ क्या किया जा रहा है ,अखबार हमे रोज ही बता देते हैं , नकली दवा,घी , और ना जाने क्या क्या बना कर लोग पैसा कमा रहे है .. । मै पूँछती हूँ इन सभी में सरकार की भूमिका कहाँ है , क्या सरकार कहती है कि कत्ल करो ,चोरी करो , अपहरण करो , औरतों के साथ दुराचार करो , नही बिल्कुल नही । इसका सीधा सा मतलब निकलता है कि बुराई हम पैदा कर रहे हैं , हम देश को बुरा बना रहे हैं । क्यों नही समाज ऐसे लोगों का बहिष्कार करता जो बुरे कार्य हम सबके सामने कर रहे हैं । हम क्यों अपनी आँख तब तक बंद रखते है जब तक आग अपने घर में नही लगती । क्यों हमने अपनी आत्मा की आवाज को दबा दिया है ।
हर अच्छाई की पहल स्वयं से ही होती है । जब हम अच्छे बनेंगें त्तो देश तो स्वयं ही अच्छा बन जायगा ।
· हम सभी अपने प्रति ईमानदार बनें
· गलत के खिलाफ आवाज उठाने की पहल करें , और यदि कोई ऐसा करता है तो उसका सहयोग करें
· थोडे से लाभ के लिये अपने ईमान को खत्म ना करें
· अपने देश के प्रति जिम्मेदार बनें
· अपने ऊपर अपनी मेहनत पर भरोसा रखें (मेहनत करने वालों की कभी हार नही होती)
· दिन भर के कार्यों का आत्म विश्लेषण जरूर करें ।आपका मन आपका सच्चा साथी होता है ।वह कभी आपको गलत मार्ग पर नही जाने देगा ।
· अपनी बुराइयों को धैर्य से सुने , फिर चिन्तन करें कि दूसरों की बातों में कितनी सच्चाई है ।
हमारा ख्याल है ये बहुत मुश्किल तो नही , मगर अगर हम थोडा सा ध्यान दे तो बहुत कुछ सुधारा जा सकता है ।
देश को बचाने कि लिये ,आओ काम हम कुछ करें
सिर्फ दोष देने के बजाय ,अपने दोषों को दूर करें