मानव जीवन में माँ का रिश्ता सभी रिश्तों से ऊपर है | अल्लाह ने भी यह बात कही और आज इस दुनिया का हर इंसान माने या ना माने इस बात को महसू...
मानव जीवन में माँ का रिश्ता सभी रिश्तों से ऊपर है | अल्लाह ने भी यह बात कही और आज इस दुनिया का हर इंसान माने या ना माने इस बात को महसूस अवश्य करता है | यदि कोई बदकिस्मत औलाद अपने जीवन काल में इस बात को महसूस न कर सका तो माँ कि म्रत्यु के बाद उसे इस बात का एहसास अवश्य होता है | किसी शायर ने कहा है कि ---
जब तू पैदा हुआ कितना मजबूर था ,
यह जहाँ तेरी सोंचों से भी दूर था |
यह माँ है जो एक बच्चे के दुनिया में चलना, रहना, तमीज़ और तहजीब सिखाती है, उसी जीवन कि सख्तियों से लड़ने के काबिल बनाती है और जब यह औलाद बड़ी हो जाती है ,आत्मनिर्भर हो जाती है तो बचपन में जिस मां के साथ सबसे ज्यादा समय गुजारा, उसका साथ अच्छा नहीं लगता | उसकी बातें पुराने ज़माने कि लगती हैं | अब वो औलाद अपने परिवार में अपनी माँ को उच्च स्थान नहीं देना चाहता | हम भूल जाते हैं कि ---
दुनिया में माँ का कोई विकल्प नहीं,
माँ की सेवा से सच्चा संकल्प नहीं |
जब हम बच्चे थे तो हमारे माता पिता उस जगह उस शहर में रहते थे जहां रह के वो हमारी बेहतर परवरिश कर सकें | और जहाँ भी रहे अपनी औलाद को साथ रखते थे | और यही औलाद जब बड़ी ही जाती है तो वो रोज़गार के सिलसिले में माँ बाप से दूर रहने लगती है और जब सुविधा मिलती है अपना घर बना लेने की तो माँ बाप कि जगह अक्सर उसके घर में नहीं हुआ करती | वो गांव में अकेले ,कमज़ोर अपनी औलाद के आने कि राह देखते रहते हैं या बड़े शहरों में किसी वृधाश्रम में डाल दिए जाते हैं | ये कितने दुर्भाग्य की बात है की जिस वक्त हमारे माता पिता को हमारे शारीरिक और भावनात्मक सहयोग की आवश्यकता होती है उसी वक्त हम उनसे मजबूरी के नाम पे मुह मोड़ लेते हैं | माँ की सेवा से सच्चा संकल्प नहीं |
औलाद इस आसान सी बात को नहीं समझ पाती कि यह वही माँ बाप हैं जिन्होंने कभी उसे उसके आत्मनिर्भर होने से पहले अपने से दूर नहीं किया तो यह आज उसके बिना कैसे रहते होंगे ? यह समझना भी औलाद के लिए मुश्किल हो जाता है कि जब वो कमज़ोर था तो उसके माँ बाप उसका सहारा बने थे ,कभी उसे अकेले नहीं छोड़ते थे ,आज माँ बाप कमज़ोर हुए हैं तो उन्हें अपने साथ रखना भी ज़रूरी है |
हमारी पहचान के एक सज्जन हैं | वो अपनी माँ को साथ नहीं रखते और जब किसी ने सवाल किया तो बोले भाई “ वो अपना जीवन जी चुके ,अपनी ओलाद कि परवरिश कर चुके अब हमें अपना जीवन जीने दो ,अपनी ओलाद की परवरिश करने दो | मैं सोंच रहा था कि उनके अपनी औलाद कि परवरिश में माता पिता कैसे बाधा बन सकते हैं ? हम भूल जाते हैं कि माँ के समान निस्वार्थ प्यार करने वाला दूसरा कोई नहीं होता | काश हम यह बात समझ पाते कि जिसके पास माँ है वो दुनिया का सबसे धनी और खुशकिस्मत व्यक्ति है | काश हम इस धन के खो जाने से पहले इसकी अहमियत को पहचान के उसे अपने घर में अपने दिल में उसका सही स्थान दे पाते |
मैं हमेशा कहा करता हूँ सही इंसान पहचानना है तो यह देखो को वो अपने माता पिता के साथ कैसा है | क्यों कि जो अपने माँ बाप का न हुआ वो आप का और हमारा क्या होगा? ऐसा इंसान जो अपने माता पिता कि इज्ज़त न करे, उनका सहारा न बने ,वास्तविक जीवन में एक खुदगर्ज़ इंसान होता है जो सबसे फायदा तो लेता है लेकिन कभी उनका सच्चे दिल से शुक्रिया नहीं अदा करता |
इसी लिए मैं ऐसे किसी इंसान से दोस्ती नहीं करता जिसने अपने माता पिता कि कद्र न कि हो ... क्यों कि जो अपने माँ बाप का न हुआ वो आप का और हमारा क्या होगा?
यह तो थी कुछ बातें कुछ सवाल जो मेरे दिल में अक्सर उठते रहते हैं लेकिन यह एक बड़ा सवाल है कि क्या आज के युग में अपने बूढ़े माँ बाप को साथ रखना संभव है ?