सहिफा इ सज्जडिया दुआ १४ : किसी की ज़ादाती और ज़लिमून Ki नागवार बातों पर दुआ . डाउनलोड बिस्मिल्लाह हीर रहमानिर रहीम ऐ वोह जिस से फरियाद करने...
सहिफा इ सज्जडिया दुआ १४ : किसी की ज़ादाती और ज़लिमून Ki नागवार बातों पर दुआ .
बिस्मिल्लाह हीर रहमानिर रहीम
ऐ वोह जिस से फरियाद करने वालों की फरियादें पोशीदा नहीं हैं.
ऐ वोह जो उनकी सर्गुज़िश्तौं के सिलसिलों मैं गावाहूँ की गवाही का मोहताज नहीं है.
ऐ वोह जिसकी नुसरत मजलूमों की हम रकाब और जिसकी मदद जालिमों से कौसों दूर है.
ऐ मेरे माबूद ऐ मेरे परवरदिगार तेरे इल्म मैं हैं वोह इजाएं जो मुझे (फलां इब्ने फलां) से उसके तेरी नेमतों पे इतराने और तेरी गिरफ्त से गाफिल होने के बैईस पहुंची हैं. जिन्हें तूने उसपे हरम किया था और मेरी हतक इ इज्ज़क का मुर्ताकिद हुआ.जिस से तूने उस ऐ रूका था.
ऐ अल्लाह रहमत नाजिल फर्मा मुहम्मद और उनकी आल पेर और अपनी कूवातौं और तवानाई से मुझ पैर ज़ुल्म करने वाले और मुझसे दुश्मनी करने वाले को ज़ुल्म ओ सितम से रोओक दे और अपने इक्तेदार के ज़रिये उसके हरबे कुंद केर दे और उसके अपने ही कामों मैं उल्झाए रख जिस से अमादा इ दुश्मनी है उसके मुकाबले मैं उसे बेदास्तो पा केर दे.
ऐ अल्लाह ऐ माबूद ये परवरदिगार रहमत नाजिल फर्मा मुहम्मद और उसकी आल पैर और उसे मुझ पैर ज़ुल्म करने की खुली छुट्टी न दे और उसके मुकाबले मैं अच्छे सुलूक से मेरी मदद फर्मा और उसके वुरे कामों जैसे कामों से मुझको महफूज़ रख और उसकी हालत ऐसी हालत न होने दे.
अय अल्लाह मुहम्मद और उसकी आल पैर रहमत नाजिल फर्मा और इसके मुकाबले मैं ऐसी बरवक्त मदद फर्मा जो मेरे गुस्से को ठंडा केर दे और मेरे घैज़ ओ ग़ज़ब का बदला चुकाए.
ऐ अल्लाह रहमत नाजिल फर्मा मुहम्मद और उसकी आल पर और उसके ज़ुल्म ओ सितम के एवज़ अपनी मुआफी और उसकी बदसुलूकी के बदले मैं अपनी रहमत अता फर्मा क्यूंकि हर नागवार चीज़ तेरी नाराज़गी के मुकाबले मैं हेच है और तेरी नाराज़गी न हो तोह हर च्चौती बड़ी मुसीबत आसान है.
बारे इलाहा जिस तरह ज़ुल्म सहना तूने मेरी नजरों मैं ना पसंद किया है, यूँही ज़ुल्म करने से मुझे बचाए रख परवरदिगार बारे इलाहा मैं तेरे सिवाए किसी से शिकवा नहीं करता और तेरे अलावा किसी हाकिम से मदद नहीं चाहता हाषा की मैं ऐसा चाहूँ तू रहमत नाजिल फर्मा मुहम्मद और उसकी आल पर और मेरी दुआ को कुबूलियत से और मेरे शिकवे को सूरत इ हाल की तबदीली से जल्द हम किनार केर और मेरा इसतरह इम्तिहान न करना की तेरे अदल और इन्साफ से मायूस हो जाऊं और मेरे दुश्मन को इस तरह से न आज़माना की की वोह तेरी सजा से बेख़ौफ़ हो के मुझपे बराबर ज़ुल्म करता रहे और मेरे हक पैर च्चाया रहे और यसे ज़ल्द ओ जल्द उस अज़ाब से उश्नास केर जिस से तूने सितम्गारून को डराया और धमकाया है और मुझे क़ुबूलिउअत इ दुआ का वोह असर दिखा जिसका तूने बेबसून से वडा किया है.
ऐ अल्लाह मुहम्मद और उसकी आल पर रहमत नाजिल फर्मा और मुझे तौफीक दे की जो सूद ओ जिंआन तूने मेरे लिउए मुक़द्दर कर दिया है उसे कुबूल करूं और जो कुछ तूने दिया है और जो कुछ लियाए है उसपर मुझे राज़ी और खुशनूद रेख और मुझे सीधे रास्ते पे लगा , ऐसे काम मैं मसरूफ रेख जो आफतोपों और ज़ान से बरी हो. ऐ अल्लाह अगेर तेरे नज़दीक मेरे लियाए यही बेह्तेर हो की मेरी दाद्रफी को ताखीर मैं दाल दे और मुझपर ज़ुल्म ढाने वाले से इन्तेकाम लेने के फैसले के दिन और दवैदारून का महले इज्तामा के लियाए उठाए रखे तोह मुहम्मद और उनी आल पैर रहमत नाजिल कर और अपनी जानिब से नियत की सचाइ और सब्र की पएदारी से मेरी मदद फार्म और बुरी ख्वाइश और हदिसूं की बेसब्री से बचाए रख और जो सवाब तूने मरे लिउए ज़खीरा किया है और जो सजा ओ कुवत मेरे दुश्मन के लिए मुहैया की है उसका नकशा मेरे दिल मैं जमा दे और उसे अपने फैसले ऐ क़ज़ा ओ कद्र पैर राज़ी रहने का जरिया और अपनी पसंदीदा चीज़ों पैर इत्मीनान ओ फुस्सूक का सबब करार दे.मेरी दुआ को कुबूल फार्म ऐ दोनों जहां के मालिक बेशक तू दोनों जहां का मालिक है , तेरी कुदरत से कोई भी चीज़ बाहेर नहीं है.
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ऐ वोह जिस से फरियाद करने वालों की फरियादें पोशीदा नहीं हैं.
ऐ वोह जो उनकी सर्गुज़िश्तौं के सिलसिलों मैं गावाहूँ की गवाही का मोहताज नहीं है.
ऐ वोह जिसकी नुसरत मजलूमों की हम रकाब और जिसकी मदद जालिमों से कौसों दूर है.
ऐ मेरे माबूद ऐ मेरे परवरदिगार तेरे इल्म मैं हैं वोह इजाएं जो मुझे (फलां इब्ने फलां) से उसके तेरी नेमतों पे इतराने और तेरी गिरफ्त से गाफिल होने के बैईस पहुंची हैं. जिन्हें तूने उसपे हरम किया था और मेरी हतक इ इज्ज़क का मुर्ताकिद हुआ.जिस से तूने उस ऐ रूका था.
ऐ अल्लाह रहमत नाजिल फर्मा मुहम्मद और उनकी आल पेर और अपनी कूवातौं और तवानाई से मुझ पैर ज़ुल्म करने वाले और मुझसे दुश्मनी करने वाले को ज़ुल्म ओ सितम से रोओक दे और अपने इक्तेदार के ज़रिये उसके हरबे कुंद केर दे और उसके अपने ही कामों मैं उल्झाए रख जिस से अमादा इ दुश्मनी है उसके मुकाबले मैं उसे बेदास्तो पा केर दे.
ऐ अल्लाह ऐ माबूद ये परवरदिगार रहमत नाजिल फर्मा मुहम्मद और उसकी आल पैर और उसे मुझ पैर ज़ुल्म करने की खुली छुट्टी न दे और उसके मुकाबले मैं अच्छे सुलूक से मेरी मदद फर्मा और उसके वुरे कामों जैसे कामों से मुझको महफूज़ रख और उसकी हालत ऐसी हालत न होने दे.
अय अल्लाह मुहम्मद और उसकी आल पैर रहमत नाजिल फर्मा और इसके मुकाबले मैं ऐसी बरवक्त मदद फर्मा जो मेरे गुस्से को ठंडा केर दे और मेरे घैज़ ओ ग़ज़ब का बदला चुकाए.
ऐ अल्लाह रहमत नाजिल फर्मा मुहम्मद और उसकी आल पर और उसके ज़ुल्म ओ सितम के एवज़ अपनी मुआफी और उसकी बदसुलूकी के बदले मैं अपनी रहमत अता फर्मा क्यूंकि हर नागवार चीज़ तेरी नाराज़गी के मुकाबले मैं हेच है और तेरी नाराज़गी न हो तोह हर च्चौती बड़ी मुसीबत आसान है.
बारे इलाहा जिस तरह ज़ुल्म सहना तूने मेरी नजरों मैं ना पसंद किया है, यूँही ज़ुल्म करने से मुझे बचाए रख परवरदिगार बारे इलाहा मैं तेरे सिवाए किसी से शिकवा नहीं करता और तेरे अलावा किसी हाकिम से मदद नहीं चाहता हाषा की मैं ऐसा चाहूँ तू रहमत नाजिल फर्मा मुहम्मद और उसकी आल पर और मेरी दुआ को कुबूलियत से और मेरे शिकवे को सूरत इ हाल की तबदीली से जल्द हम किनार केर और मेरा इसतरह इम्तिहान न करना की तेरे अदल और इन्साफ से मायूस हो जाऊं और मेरे दुश्मन को इस तरह से न आज़माना की की वोह तेरी सजा से बेख़ौफ़ हो के मुझपे बराबर ज़ुल्म करता रहे और मेरे हक पैर च्चाया रहे और यसे ज़ल्द ओ जल्द उस अज़ाब से उश्नास केर जिस से तूने सितम्गारून को डराया और धमकाया है और मुझे क़ुबूलिउअत इ दुआ का वोह असर दिखा जिसका तूने बेबसून से वडा किया है.
ऐ अल्लाह मुहम्मद और उसकी आल पर रहमत नाजिल फर्मा और मुझे तौफीक दे की जो सूद ओ जिंआन तूने मेरे लिउए मुक़द्दर कर दिया है उसे कुबूल करूं और जो कुछ तूने दिया है और जो कुछ लियाए है उसपर मुझे राज़ी और खुशनूद रेख और मुझे सीधे रास्ते पे लगा , ऐसे काम मैं मसरूफ रेख जो आफतोपों और ज़ान से बरी हो. ऐ अल्लाह अगेर तेरे नज़दीक मेरे लियाए यही बेह्तेर हो की मेरी दाद्रफी को ताखीर मैं दाल दे और मुझपर ज़ुल्म ढाने वाले से इन्तेकाम लेने के फैसले के दिन और दवैदारून का महले इज्तामा के लियाए उठाए रखे तोह मुहम्मद और उनी आल पैर रहमत नाजिल कर और अपनी जानिब से नियत की सचाइ और सब्र की पएदारी से मेरी मदद फार्म और बुरी ख्वाइश और हदिसूं की बेसब्री से बचाए रख और जो सवाब तूने मरे लिउए ज़खीरा किया है और जो सजा ओ कुवत मेरे दुश्मन के लिए मुहैया की है उसका नकशा मेरे दिल मैं जमा दे और उसे अपने फैसले ऐ क़ज़ा ओ कद्र पैर राज़ी रहने का जरिया और अपनी पसंदीदा चीज़ों पैर इत्मीनान ओ फुस्सूक का सबब करार दे.मेरी दुआ को कुबूल फार्म ऐ दोनों जहां के मालिक बेशक तू दोनों जहां का मालिक है , तेरी कुदरत से कोई भी चीज़ बाहेर नहीं है.
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