संभलकर विषय ज़रा ओल्ड है | मैं तो इस ब्लॉगजगत को अपना एक परिवार ही मानता हूँ | पांच महीने इस ब्लॉगजगत से दूर रहा | व्यस्तता के ब...
संभलकर विषय ज़रा ओल्ड है |
मैं तो इस ब्लॉगजगत को अपना एक परिवार ही मानता हूँ | पांच महीने इस ब्लॉगजगत से दूर रहा | व्यस्तता के बावजूद याद आ ही जाती थी के क्या चल रहा होगा वहाँ | देखता इस लिए नहीं था कि एक बार पढ़ना शुरू किया तो फिर इसी में लग जाऊंगा बाकी काम धरे के धरे रह जाएंगे |
पांच महीने बाद अपने ब्लॉग परिवार के सभी लेखकों को पढ़ना शुरू किया तो कभी ख़ुशी मिली तो कभी दुःख हुआ | खुशी ब्लॉगर के आपस के प्रेम को देख के हुई, दुःख कुछ ब्लॉगर के वही पुराने विवादित लेख लिखने कि आदत को देख के हुई |
ऐसा लगता है यह ब्लॉगजगत अब एक कला फिल्म के जैसा होता जा रहा है जिसमे कभी कभी एक दो गरमा गरम सीन भी आ जाते हैं और लोगों के सर का दर्द ज़रा सा कम हो जाता है | अब तो लोग काफी बोल्ड हो गए हैं ,बेडरूम और बाथरूम का भी लाइव टेलेकास्ट यह कह के किया जाने लगा है की हकीकत को क्यों छिपाना ।
भगत सिंह को देखा खुशी हुई सामाजिक सरोकारों पे अधिक लिख रहे हैं | यह भी अच्छा लगा कि अब वो निर्मल बाबा के पास जाने का विचार शायद दिमाग से निकल रहे हैं, वरना मैं तो डरता था कहीं निर्मल बाबा के पास जा के उनको कानून न सिखा दें |
महिलाओं में ताकत आजमाईश वैसे ही चल रही है | कुछ अब बोल्ड हो के बड़ी ब्लॉगर बन गयी हैं कुछ अभी भी महिलाओं को निर्वस्त्र करने में लगी हुई हैं और मर्द वाह वाह कर के उस समय का इन्तेज़ार कर रहे हैं | एक ब्लोगर को बकाएदा अपनी भुजाओं की ताकात अपनी जिमखाने कि तस्वीरों को डाल के दिखा रहे हैं |
महिलाओं में ताकत आजमाईश वैसे ही चल रही है | कुछ अब बोल्ड हो के बड़ी ब्लॉगर बन गयी हैं कुछ अभी भी महिलाओं को निर्वस्त्र करने में लगी हुई हैं और मर्द वाह वाह कर के उस समय का इन्तेज़ार कर रहे हैं | एक ब्लोगर को बकाएदा अपनी भुजाओं की ताकात अपनी जिमखाने कि तस्वीरों को डाल के दिखा रहे हैं |
खुद को इनामात बाँटने कि प्रथा अभी भी बा-दस्तूर चल रही है | रेवड़ी वैसे भी मीठी होती है जब बंटती है तो फ़कीर लेने आ ही जाते हैं | कुछ ब्लोगेर थाईलैंड से इंग्लॅण्ड होते हुए भारत आ चुके हैं और शायद इसी लिए लिखने कि अदा भी बदल चुकी है | कुछ हंसमुख और चतुर ब्लॉगर समाज में सीधे साढ़े लोगों का गुणगान करते भी नज़र आये, लेकिन दिल में एक ख्याल आया यह खुद क्यों नहीं सीधे साधे बन के पाजामा कुर्ता पहने ,मधुर आवाज़ में बोलते नज़र नहीं आते ?
किसी ब्लॉगर का बगीचा अभी भी लहलहा रहा है बस फूल ज़रा अलग किस्म के निकल आये हैं जो शायद मौसम बदल जाने से निकले है | अन्ना फिर से बाबा रामदेव के पास चले गए हैं |दुखी तो शायद नहीं होंगे लेकिन यह अवश्य सोंचते होंगे क्या बेवकूफी कर गया ? आधी उम्र गुज़ार दी अभी भी न समझ सका कि महिला यदि बोल्ड हो तो पुरुष अपनों का साथ नहीं देता |
एक ब्लॉगर मित्र अभी भी खुशी के दीप जलाने की कोशिश अपने चुटकुलों के माध्यम से कर रहे हैं | पत्रकार एक तरफ "सत्यमेव जयते " से खुश नज़र आ रहे हैं | वहीं दूसरी और कुछ लोगों को यह भा नहीं रहा है कि सलमान खान ने कैसे "सत्यमेव जयते " का नारा बलंद किया |
फेसबुक अब ब्लॉगर कि पह्ली पसंद बनता जा रहा है वहाँ के झगडे ब्लॉगजगत में और ब्लॉगजगत के झगडे फेसबुक पे अब जाने लगे लगे हैं | एक ब्लॉगर ने तो बहुतों की जान ही निकाल डाली यह एलान कर के कि फेसबुक अगले ५ सालों में गायब भी हो सकता है | संकलक को चलाने वाले ब्लोगरों के प्रिय अभी भी बने हुए हैं | टिप्पणीयों का लेन देन
भी पहले की ही तरह चल रहा है | बस कुछ बूढ़े पुरुष जिनका कोई ब्लॉग नहीं हैं इस लेन देन से दूर एक महिला के ब्लॉग पे ही पहले कि तरह से चिपके हुए हैं | हाँ कुछ अभी भी वैसे ही टिपण्णी करने को तौहीन समझते हैं ।
सामाजिक सरोकारों पे लिखने की जब आवाज़ बुलद हुई तो इसका बुखार कम ही चढ़ा लेकिन अब तो ब्लॉगजगत में कामसूत्र का बुखार नज़र आने लगा है । इसे नए ज़माने की नयी पहचान कहा जा सकता है, इस से पाठक भी बढ़ सकते हैं ,पढने के बाद फील गुड का एहसास भी आएगा लेकिन इस बुखार की मियाद कम है । इसके इलाज की आवश्यकता भी नहीं नजले ज़ुकाम की तरह कुछ दिनों में खुद ही चला जाया करता है ।
फेसबुक अब ब्लॉगर कि पह्ली पसंद बनता जा रहा है वहाँ के झगडे ब्लॉगजगत में और ब्लॉगजगत के झगडे फेसबुक पे अब जाने लगे लगे हैं | एक ब्लॉगर ने तो बहुतों की जान ही निकाल डाली यह एलान कर के कि फेसबुक अगले ५ सालों में गायब भी हो सकता है | संकलक को चलाने वाले ब्लोगरों के प्रिय अभी भी बने हुए हैं | टिप्पणीयों का लेन देन
सामाजिक सरोकारों पे लिखने की जब आवाज़ बुलद हुई तो इसका बुखार कम ही चढ़ा लेकिन अब तो ब्लॉगजगत में कामसूत्र का बुखार नज़र आने लगा है । इसे नए ज़माने की नयी पहचान कहा जा सकता है, इस से पाठक भी बढ़ सकते हैं ,पढने के बाद फील गुड का एहसास भी आएगा लेकिन इस बुखार की मियाद कम है । इसके इलाज की आवश्यकता भी नहीं नजले ज़ुकाम की तरह कुछ दिनों में खुद ही चला जाया करता है ।
कुछ अच्छे ब्लोगरों की चुप्पी से एक खालीपन सा महसूस अवश्य हुआ | कुछ समझदार, सुलझे दिमाग के ब्लोगरों की मौजूदगी अभी भी एक आशा कि किरण कि तरह मुझे दिखती है जो शायद सही समय आने पे इस ब्लॉग जगत को नयी दिशा देगी |
अमन के पैगाम के साथियों को सलाम |
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