मैं इधर जाऊं या उधर जाऊं आवाज़ है एक आम इंसान कि जो अपने बचपन मैं सदाचार कि बातें सुनता था और बड़े होने पे संविधान और कानून कि बातें सुनता ...
आज के युग की यह भी अजब कहानी है कि अधिक पैसा बिना कानून तोड़े नहीं कमाया जा सकता. ठीक उसी प्रकार यह भी कहा जाता है कि उपदेशों से पेट नहीं भरा करता. मतलब साफ़ है कि आज के युग मैं संत पुरूषों के उपदेशों पे और देश के कानून पे इमानदारी से चलते हुए जीना आसान नहीं रहा. या यह कह लें की जीना तो आसान है लेकिन ऐश ओ आराम के साथ जीना आसान नहीं रहा.
ऐसा इस कारण है क्योंकि हम इस दुनिया से अधिक प्रेम करने लगे हैं और हम जीवन का भरपूर आनंद उठाना चाहते हैं.हमारा जीने का मकसद है धन कमाना और इसके लिए सही या गलत जो भी रास्तों पे चलना पड़े हम तैयार रहते हैं. आज की कामयाब फिल्मों की कहानी अब मानवता और प्रेम पे आधारित ना हो के भ्रष्टाचार, सेक्स और हिंसा पे आधारित हुआ करती है. हमें भी वही पसंद आता है क्यों की हम भी वैसा ही जीवन जीने की तमन्ना रखने लगे हैं.
एक आम इंसान की ज़िंदगी सही और ग़लत के बीच फँस के रह गयी है. आज वो यही नहीं समझ पा रहा है की रोटी कपडा और मकान से अलग जो टेलेविज़न ,मोबाइल, कार,एयरकंडीशन ,फास्ट फ़ूड ,बड़े होटलों मैं खाना खाना ,घूमना ,पार्टियां इत्यादि उसका शौक हैं ज़रुरत हैं या मजबूरी.
यह सच है की इंसानियत और सत्य की राह पे चलने वाले इंसान को जीवन मैं बहुत सी कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है. यह भी सच है की कठिनाइयों का सामना करने की हिम्मत अधिक लोगों मैं नहीं है. इसे कारण से उपदेशों पे वाह वाह तो लोग बहुत करते हैं लेकिन जीवन मैं उसको अपना बहुत ही कम लोग पाते हैं.
आज के युग मैं यदि आप किसी ऐसे इंसान से मिले जो खुद को एक धार्मिक इंसान कहता हो तो यह ना समझिएगा कि यह अपने धर्म गुरुओं के बताए रास्ते पे चलने वाला होगा बल्कि धार्मिक का मतलब यह है कि अपनी मुश्किलों और परेशानियों मैं यह इंसान किसी मंदिर ,मस्जिद , मैं अवश्य जाता होगा.ऐसा कह सकते हैं कि आज धर्म का इस्तेमाल किरदार बनाने कि जगह मन्नतें मानने और मुरादें पूरी करने के लिए किया जाने लगाहै.
इस कडवे सच के बावजूद यह भी सही है कि लोगों के कानून तोड़ने या धार्मिक नसीहतों को मानने से इनकी
अहमियत कम नहीं हो जाती. इसका उदाहरण ऐसा ही है की बहुत सी माएं अपने बच्चों को दूध नहीं पिलाती, बहुत से बच्चे ही माँ का दूध नहीं पीते लेकिन इस से माँ के दूध की अहमियत को कोई फर्क नहीं पड़ता और माँ का दूध ना पीने वाला बच्चा हमेशा नुकसान मैं ही रहता है.
इस बात को बहुत कम समझ पाते हैं की जीवन का सच्चा सुख बड़ी बड़ी पार्टियों मैं पैसे बर्बाद करने मैं नहीं किसी ज़रुरत मंद की मदद कर के उसकी ख़ुशी को महसूस करने में है.किसी रोते हुई को हंसाने का सुख वही जान सकता है जिसने अपने जीवन मैं कभी ऐसा किया हो.
एक रोज़ एक नीली आँखों वाली सुंदर औरत ईसा मसीह के पास आयी .मसीह ने उससे पूछा "तू कौन है" उसने उत्तर दिया मैं संसार हूं. मसीह ने कहा तू मेरे पास क्या करने आयी है. उसने जवाब दिया मैं आपसे ब्याह रचाने आयी हूं. मसीहा ने फिर पूछा क्या तू अब तक कुंवारी हैं. उसने कहाँ नहीं मैंने अब तक अनगिनत शादियाँ की हैं. हजरत ईसा ने पूछा तेरे सभी शौहर कहाँ गए ? उसने जवाब दिया सब मेरी सुन्दरता के चक्कर मैं पड़ कर बर्बाद हो गए और ज़हनी तकलीफ,बिमारियों और अकेलेपन का शिकार हो के दुनिया से चले गए.
इस पर हजरत ईसा ने कहा अफ़सोस है उन लोगों पर जो तेरी बेवफाई देखने के बाद भी तुझसे ब्याह कर लेते हैं.
यदि आप कशमकश मैं अभी भी पड़े हैं तो बस एक बार कोशिश करें किसी मजबूर की मदद करने की, किसी रोते हुए को हंसाने की, किसी ग़रीब की रोटी का इंतज़ाम करने की और उसके चेहरे की ख़ुशी को महसूस करें. यह मेरा वादा है कि उसके बाद से आप शान ओ शौकत दिखाने के लिए और दुनिया कि लज्ज़त उठाने के लिए पैसे बर्बाद करना कभी पसंद नहीं करेंगे क्यों कि आप सच्चे सुख की प्राप्ति का रास्ता जान चुके होंगे.