A travel blog with emphasis on Art & Culture

$type=slider$snippet=hide$cate=0

#amankapaigham #avinash vachaspati 2020 alwida २७ रजब 72 हूर 72 hoor अंजना (गुडिया) अंधविश्वासी अख्तर खान अकेला अजय कुमार झा अजादारी अनवर जमाल अनैतिक अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस अपर्णा त्रिपाठी "पलाश" अमन और शांति अमन का पैगाम अमित शर्मा अयातुल्लाह सीस्तानी अरुण चन्द्र रॉय अलबेला खत्री अश्लीलता असंतुलन अहलिबैत अलैहिमुस्सलाम आंतिरक इच्छाओं इंसान इंसानियत इमाम अली (अ.स) इमाम हुसैन इस्मत जैदी इस्लाम ई रिक्शा ईस्लाम छोडो आज़ादी कि राह मदद का वादा एस एम् मासूम एस.एम.मासूम एहसान फरामोशी ऑनर किलिंग ओबामा ओल्ड कट्टरवादी कर्बला कविओं कविता कश्मीरी चाय काबा और कर्बला कुरान कुरीतियों कुसुमेश केवल राम कोरोना कौटुम्बिक व्यभिचार खुशदीप सहगल गाँधी गिरिजेश कुमार गुलाब चाय का मज़ा जागरूकता जिन्न जिहाद जौनपुर डा. रूपचन्द्र शाश्त्री “मयंक” डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट डॉ टी एस दराल तारकेश्वर गिरी तीन तलाक़ दरिंदगी दानिश" भारती दीप पाण्डेय (विचार शून्य) देश भक्ति दोषारोपण दोहरे चरित्र धर्म और राजनीति धर्मदर्शन धर्मपत्नी धार्मिक नरेन्द्र मोदी नाईट क्लब निर्मला कपिला पकोड़ा पड़ोसी पत्नी से मित्रता परिवार पवन कुमार मिश्र पश्चिमी सभ्यता पूजा शर्मा पेंशन पेंशन एक इस्लामी मशविरा पॉलिटिक्स पोर्न फतवे फ़ातिमा फेसबुक फ्रांस बडबोले बलात्कार बाप बुराईयों बुर्का बुर्क़े बेअसत बेशर्मी मोर्चा बॉय फ्रेंड ब्रिटेन ब्लॉगजगत ब्लॉगर ब्लोग्गेर्स की दुनिया भारतीय संस्कृति भ्रष्ट भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार अन्धविश्वासो मस्तिष्क महिला अधिकार महिला जगत माँ मानसिक विकृतियों मीनाक्षी पन्त मुंबई मुकेश कुमार सिन्हा मुफज्ज़रनगर मुसलमान मुहर्रम मैं एक मुस्लमान हूँ ? मैथली शरण गुप्त मैराज ज़ैदी यौन आकर्षण यौन हिंसा रचना बजाज रज़िया राज़ रश्मि प्रभा राजनीति राजनीती राजेन्द्र स्वर्णकार रिश्ते नाते रेखा श्रीवास्तव लता हया लविंग जिहाद लालकृष्ण आडवाणी लिव-इन-रिलेशनशिप वंदे मातरम् वंशावली वहम विकास विवाह विवेक रस्तोगी वीणा श्रीवास्तव वेबपोर्टल शक शक या वहम शराब. ब्लू फिल्म शादी या लिवइन रिलेशनशिप शाहनवाज़ सिद्दीकी शिखा वार्ष्णेय शिशु शीराज़ ऐ हिन्द शेयर मार्केट संगीता पुरी संजय भास्कर संपादकीय संस्कार सतीश सक्सेना सदाचार समलैंगिक समस्याएं समाज समाज के दो चेहरे समीर लाल ’समीर सहिफा इ सज्जडिया सामाजिक प्राणी सामाजिक भय सामाजिक मुद्दे साम्‍प्रदायि‍क सद् भाव सास ससुर सिविल डिसओबिडियेन्स सेक्स सेक्स एजुकेशन सोशल मीडिया स्वस्थतम की उत्तरजीविता हज़रत अली हरकीरत हीर हरदीप राणा जी हिंदी ब्लॉग जगत हिजाब हिन्दू aman amankapaigham arvind vidrohi Asia asl islam blog blog jagat blogger bloggers bold Civil disobedience culture current affairs Death Dipawali Diwali dosti dua e richshaw Editorial facebook fathers day featured festival festivals Hadith headline Hindi Hindu history HIV/AIDS http://blogsinmedia.com India jihad jinn karonda Kashi naresh love marriage Lungs cancer Maharashtra mahila jagat Mantra media marketting Mumbai naturopathy Opposing Views parents peace message photo politics porn portfolio power Game Race chart Religion and Spirituality rizq rose s.m.masoom S.M.MASUM samaj satish kaushik shajra shajra sadat Shirdi slut march social issues social media society sport suroor fatima talents tea time Teachings The News International tiger woods vandana gupta Varanasi whatsapp wikileaks women issues world world issues yoga zeeshan zaidi

टकराव के बीच इंसान को दुख पर फ़तह पानी है, यही चुनौती आज इंसान के सामने है।

SHARE:

  आज अमन के पैग़ाम पे एक ऐसी शक्सियत को पेश कर रहा हूँ जिसके नाम और शक्ल से मैं भी वाकिफ नहीं लेकिन उनके अंदाज़ का मुरीद हूँ. यह लेख हमार...

 आज अमन के पैग़ाम पे एक ऐसी शक्सियत को पेश कर रहा हूँ जिसके नाम और शक्ल से मैं भी वाकिफ नहीं लेकिन उनके अंदाज़ का मुरीद हूँ. यह लेख हमारे उन भाई ने लिखा है को खुद को शेखचिल्ली का बाप कहते हैं. लेकिन आपका यह लेख स्वम यह  बता रहा है की आप एक अच्छे लेखक भी हैं. मुझे अमन के पैग़ाम पे पेश लेखों मैं से यह बहुत ही पसंद हैं और यह मेरा निवेदत है सभी से कि समय निकाल के इस लेख को अवश्य पढ़ें क्योंकि इसमें दुःख दूर करने और आपस मैं प्यार पैदा करने का तरीका बताया गया है.
पेश हैं लेख अमन का पैग़ाम दीजिये और अमन का पैग़ाम लीजिये …………..

दुनिया आज दुख का घर है और इंसान का घर भी यही है। दुनिया को दुख से भरने वाला भी कोई और नहीं है बल्कि खुद इंसान ही है। हर इंसान की आदत और उसकी सोच दूसरों से थोड़ी बहुत अलग ज़रूर है। इंसान की यह एक ऐसी ख़ासियत है जिसकी वजह से दुनिया में तरक्क़ी के काम हुए और दुनिया में जितनी बर्बादियां फैलीं, वे सब भी इसी वजह से फैलीं। तरक्क़ी तब हुई जब सब अलग होने के बावजूद मिलकर हंसे-बोले और मिलकर काम किया और बर्बादियां तब फैलीं जब अलग होने को अपनी पहचान बना लिया गया, जब साथ हंसने-बोलने को भुला दिया गया। तब वे आपस में टकराये,कभी अपनी पहचान की हिफ़ाज़त के नाम पर और कभी अपनी सोच की बड़ाई के नाम पर। यह टकराव अब भी जारी है। टकराव की सोच ही आज इंसान को दुख दे रही है।

यह टकराव अभी और चलेगा, यह जल्दी ख़त्म होने वाला नहीं है। इसी टकराव के बीच इंसान को दुख पर फ़तह पानी है, यही चुनौती आज इंसान के सामने है।

हमारे यहां यक़ीन और विश्वास की अथाह दौलत है। हमारे यहां पहले ब्याह करते हैं लड़के लड़की का आपस में, फिर उन्हें साथ बैठने की इजाज़त मिलती है और फिर बुज़ुर्ग लोग कुछ ऐसी रस्में अंजाम देते हैं जो एक खेल की तरह लगती हैं। कभी किसी बर्तन में पानी भरकर दूल्हा-दुल्हन से कहा जाता है कि दोनों एक साथ पानी में हाथ डालकर अंगूठी ढूंढें और कभी ऐसा ही कोई दूसरा खेल कराया जाताहै।

यह सब क्या है ? क्या यह सब महज़ एक खेल है ?


इन्हें खेल समझने वाले इसके अस्ल राज़ से नावाक़िफ़ हैं। इसका राज़ यह है कि ब्याह से पहले तक लड़के और लड़की के लिए किसी ग़ैर को छूने की मनाही थी और यह मनाही उनके तहतुश्शऊर तक में, सबकांशिएस तक में बैठी हुई है। ऐसे में अगर एकदम दोनों की मुठभेड़ करा दी जाए तो शरीर की प्यास तो चाहे दोनों को जुड़ने पर मजबूर कर दे लेकिन उनके मन नहीं जुड़ पाएंगे। इसीलिए उनके मन से पहले धीरे-धीरे अजनबियत दूर की जाती है, उन्हें एक दूसरे के वजूद का आदी बनाया जाता है।उन्हें साथ हंसाया जाता है। साथ हंसेंगे तो प्यार खुद पैदा हो जाएगा।
औरत हो या मर्द, हंसते हुए दोनों ही बहुत प्यारे लगते हैं, इंसान की यह ख़ासियत है कि जो चीज़ उसकी नज़र को भा जाती है, उसका दिल उसके पीछे भागता है और जहां एक बार दिल किसी के पीछे लग गया तो समझो कि वह इंसान बस उसका हो चुका।
शादी-ब्याह की रस्मों के ज़रिए दोनों का दिल बहलाया भी जाता है और दोनों हंसाकर एक दूसरे केलिए उनमें प्यार भी पैदा किया जाता है। अगर वे इस राज़ को जान लेते तो वे सदा हंसते रहते, शादीके बाद भी, लेकिन उन्होंने तो उसे बस एक रस्म और एक खेल समझा। जिसे सिर्फ़ ब्याह के मौक़ेपर खेला जाता है जबकि वह एक शुरूआत थी, एक सबक़ था, जिसे उन्हें दोहराते रहना था, जीवनभर।

“‘आदमी को अपना बच्चा और पराई औरत दोनों ही अच्छे लगते हैं‘ यह एक कहावत है।
क्या आपने कभी सोचा है कि आखि़र ये दोनों क्यों अच्छे लगते हैं ?

क्योंकि दोनों ही हंसते हैं।”

अपनी बीवी इसीलिए अच्छी नहीं लगती। जब भी आप उसके पास जाएंगे, बस वह आपको काम ही बताएगी। कभी बच्चों की फ़ीस जमा कराने का तो कभी कोई मशीन ठीक कराने का। काम बहुतबताएगी लेकिन सारे काम करने की ताक़त जहां से मिलती है, बस वही काम नहीं करेगी, साथबैठकर, पास बैठकर हंसेगी नहीं। हंसेगी नहीं तो वह अच्छी भी नहीं लगेगी।

आदमी हीरोईनों के फ़ोटो पर्स में रखता है, दीवार पर लगाता है, कम्प्यूटर और मोबाईल में डाउनलोड करता है। उनके पीछे दीवाना बना हुआ है। वहां क्या है ?
वहां भी एक मीठी सी मदभरी मुस्कान ही तो है जो कि हक़ीक़त नहीं है बल्कि सिर्फ़ एक छलावा है।
लड़कियां क्रीम-पाउडर में अपना पैसा खपा रही हैं, बेकार में ही। उनकी कशिश को बढ़ाने वाली चीज़उनका रंग नहीं है बल्कि उनका हंसना और मुस्कुराना है।

एक मुस्कुराहट किसी भी लड़के को दीवाना बना सकती है। यह एक साबित शुदा हक़ीक़तहै।

हमारी तहज़ीब पुरानी है। हमें अपनी तहज़ीब पर यक़ीन है। हमें पता है कि ब्याह को टिकाऊ कैसेबनाया जाता है ?
कैसे किसी के दिल में प्यार का बीज बोया जाता है ?
हम जानते हैं इसीलिए हमारे देश के ब्याह अक्सर टिकाऊ होते हैं।
आप चाहते हैं कि आपकी ज़िंदगी से दुख चला जाए तो उसके जाने का इंतज़ार मत कीजिए, बस हंसना सीख लीजिए। किसी इंसान से दुख पहुंच रहा है आपको तो उससे शिकायत मत कीजिए, बस उसके साथ बैठकर बातें कीजिए, उसके साथ हंसिए। उसका नज़रिया आपके बारे में बदल जाएगा, वह आपको दुख पहुंचाने की आदत छोड़ देगा।

अगर कोई चीज़ आपके पास हो लेकिन आप उसे कभी इस्तेमाल नहीं करते, उसपर ध्यान नहीं देते, उसका नाम तक आप कभी नहीं लेते तो फिर आपके लिए उसका होना और नहोना बराबर है।

आप इसी तरीक़े से अपने दुख को होने के बावजूद ‘न होने‘ में बदल सकते हैं। आप कभी किसी कीहमदर्दी पाने के लिए उसका इस्तेमाल मत कीजिए, महफ़िल में कोई उसकी चर्चा छेड़े तो उसकी बातकाट दीजिए, खुद भी उस पर ध्यान मत दीजिए। उसे पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दीजिए। उसका होनाआपके लिए न होने के बराबर हो जाएगा और आप ऐसा कर सकते हैं फ़ौरन।
याद रखिए, जिस चीज़ को आप महसूस नहीं करते वह आपके लिए है भी नहीं।

सुख-दुख एक अहसास का नाम है। अहसास की वजह बाहर हो सकती है लेकिन अहसास अंदर ही होता है। दुश्मन आपके लिए दुख की वजह तो पैदा कर सकता है लेकिन अगर आप उसे महसूस करने के लिए तैयार नहीं हैं तो वह आपको हरगिज़ दुखी नहीं कर सकता। दुख को जीतने के लिएआपको अपने अहसास पर क़ाबू पाना सीखना होगा।

यह बिल्कुल पहला सबक़ है। इससे आगे वे सबक़ भी हैं जब इंसान के लिए हर दुख लज़्ज़त काज़रिया बन जाता है। जो भी दुख उसकी ज़िंदगी में आता है, लज़्ज़्त साथ लाता है।
नहीं, वह आपको अभी नहीं बताया जाएगा। पहले तो आप बस इतना कर लीजिए जितना कि आपसेकहा जा चुका है।
आप दुख से निकल पाएंगे तभी किसी और को भी दुख से निकाल पाएंगे। जितना ज़्यादा आप दुख केअहसास से आज़ाद होते चले जाएंगे, आपकी ज़िंदगी में उतना ही ज़्यादा अमन आता चला जाएगाऔर तब आपने जिस तरीक़े से खुद अमन पाया है, वही तरीक़ा आप दुनिया को बताएंगे, तब आपका‘अमन का पैग़ाम‘ एक ऐसी हक़ीक़त होगा, जिसे अपनाने के लिए हरेक तैयार होगा।
अमन यहां नक़द है, बस सच्चा तलबगार चाहिए।
कौन चाहता है अमन , सामने आए ?

आपकी चाहत पूरा होने का वक्त आ गया है।
जो तरीक़ा एक इंसान के लिए फ़ायदेमंद है, वही तरीक़ा पूरी क़ौम के लिए भी कारगर है।
आप बाज़ारों में देखिए, अलग अलग बिरादरियों के लोग कैसे मिलजुल कर कारोबार करते हैं।
उनका पास बैठना, साथ खड़े होना और मिलकर काम करना ही उनके अंदर की नफ़रतों को कमज़ोरकरता रहता है, उनके अंदर मुहब्बत के फूल खिलाता है।
फ़ितरत को नफ़रत मंज़ूर ही नहीं है। नफ़रत को वह खुद मिटाती रहती है और नफ़रत करने वालों को भी। साथ रहना और प्यार करना इंसान की फ़ितरत है। इंसान साथ चाहता है, खुशी और प्यार चाहताहै, अमन चाहता है और ये सभी बातें एक दूसरे में इस तरह पैवस्त हैं कि एक आएगी तो दूसरी भीचली आएगी।
प्यार का सौदा ही सच्चा सौदा है। साथ रहो और प्यार करो। अमन हासिल करने कातरीक़ा भी यही है और ‘अमन का पैग़ाम‘ भी। ‘अमन का पैग़ाम‘ लीजिए और ‘अमन कापैग़ाम‘ दीजिए, करने का सबसे ज़्यादा ज़रूरी काम आज यही है।

……….शेखचिल्ली का बाप
नाम

#amankapaigham,4,#avinash vachaspati,1,2020 alwida,1,२७ रजब,2,72 हूर,1,72 hoor,1,अंजना (गुडिया),1,अंधविश्वासी,1,अख्तर खान अकेला,1,अजय कुमार झा,1,अजादारी,2,अनवर जमाल,1,अनैतिक,3,अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस,1,अपर्णा त्रिपाठी "पलाश",1,अमन और शांति,2,अमन का पैगाम,66,अमित शर्मा,1,अयातुल्लाह सीस्तानी,1,अरुण चन्द्र रॉय,1,अलबेला खत्री,1,अश्लीलता,3,असंतुलन,4,अहलिबैत अलैहिमुस्सलाम,1,आंतिरक इच्छाओं,1,इंसान,1,इंसानियत,17,इमाम अली (अ.स),2,इमाम हुसैन,2,इस्मत जैदी,1,इस्लाम,16,ई रिक्शा,1,ईस्लाम छोडो आज़ादी कि राह मदद का वादा,1,एस एम् मासूम,2,एस.एम.मासूम,4,एहसान फरामोशी,7,ऑनर किलिंग,1,ओबामा,1,ओल्ड,1,कट्टरवादी,1,कर्बला,2,कविओं,1,कविता,2,कश्मीरी चाय,1,काबा और कर्बला,1,कुरान,6,कुरीतियों,1,कुसुमेश,1,केवल राम,1,कोरोना,1,कौटुम्बिक व्यभिचार,1,खुशदीप सहगल,1,गाँधी,1,गिरिजेश कुमार,1,गुलाब,1,चाय का मज़ा,1,जागरूकता,1,जिन्न,1,जिहाद,6,जौनपुर,7,डा. रूपचन्द्र शाश्त्री “मयंक”,1,डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट,1,डॉ टी एस दराल,1,तारकेश्वर गिरी,1,तीन तलाक़,1,दरिंदगी,1,दानिश" भारती,1,दीप पाण्डेय (विचार शून्य),1,देश भक्ति,4,दोषारोपण,2,दोहरे चरित्र,1,धर्म और राजनीति,1,धर्मदर्शन,1,धर्मपत्नी,1,धार्मिक,1,नरेन्द्र मोदी,1,नाईट क्लब,1,निर्मला कपिला,1,पकोड़ा,1,पड़ोसी,1,पत्नी से मित्रता,1,परिवार,1,पवन कुमार मिश्र,1,पश्चिमी सभ्यता,1,पूजा शर्मा,1,पेंशन,1,पेंशन एक इस्लामी मशविरा,1,पॉलिटिक्स,1,पोर्न,2,फतवे,2,फ़ातिमा,2,फेसबुक,1,फ्रांस,1,बडबोले,4,बलात्कार,2,बाप,1,बुराईयों,1,बुर्का,1,बुर्क़े,1,बेअसत,1,बेशर्मी मोर्चा,1,बॉय फ्रेंड,1,ब्रिटेन,1,ब्लॉगजगत,1,ब्लॉगर,2,ब्लोग्गेर्स की दुनिया,9,भारतीय संस्कृति,6,भ्रष्ट,1,भ्रष्टाचार,2,भ्रष्टाचार अन्धविश्वासो,1,मस्तिष्क,1,महिला अधिकार,1,महिला जगत,15,माँ,6,मानसिक विकृतियों,1,मीनाक्षी पन्त,1,मुंबई,1,मुकेश कुमार सिन्हा,1,मुफज्ज़रनगर,1,मुसलमान,1,मुहर्रम,5,मैं एक मुस्लमान हूँ ?,1,मैथली शरण गुप्त,1,मैराज ज़ैदी,1,यौन आकर्षण,1,यौन हिंसा,1,रचना बजाज,1,रज़िया राज़,1,रश्मि प्रभा,1,राजनीति,3,राजनीती,5,राजेन्द्र स्वर्णकार,1,रिश्ते नाते,1,रेखा श्रीवास्तव,1,लता हया,1,लविंग जिहाद,1,लालकृष्ण आडवाणी,1,लिव-इन-रिलेशनशिप,1,वंदे मातरम्,1,वंशावली,1,वहम,2,विकास,1,विवाह,2,विवेक रस्तोगी,1,वीणा श्रीवास्तव,1,वेबपोर्टल,1,शक,2,शक या वहम,6,शराब. ब्लू फिल्म,1,शादी या लिवइन रिलेशनशिप,1,शाहनवाज़ सिद्दीकी,1,शिखा वार्ष्णेय,1,शिशु,1,शीराज़ ऐ हिन्द,1,शेयर मार्केट,3,संगीता पुरी,1,संजय भास्कर,1,संपादकीय,7,संस्कार,1,सतीश सक्सेना,1,सदाचार,16,समलैंगिक,1,समस्याएं,1,समाज,9,समाज के दो चेहरे,18,समीर लाल ’समीर,1,सहिफा इ सज्जडिया,2,सामाजिक प्राणी,1,सामाजिक भय,1,सामाजिक मुद्दे,1,साम्‍प्रदायि‍क सद् भाव,1,सास ससुर,1,सिविल डिसओबिडियेन्स,1,सेक्स,2,सेक्स एजुकेशन,1,सोशल मीडिया,2,स्वस्थतम की उत्तरजीविता,1,हज़रत अली,1,हरकीरत हीर,1,हरदीप राणा जी,1,हिंदी ब्लॉग जगत,1,हिजाब,2,हिन्दू,1,aman,2,amankapaigham,103,arvind vidrohi,2,Asia,1,asl islam,2,blog,4,blog jagat,26,blogger,10,bloggers,11,bold,1,Civil disobedience,1,culture,22,current affairs,5,Death,1,Dipawali,1,Diwali,1,dosti,2,dua,1,e richshaw,1,Editorial,201,facebook,4,fathers day,1,featured,21,festival,3,festivals,1,Hadith,1,headline,17,Hindi,5,Hindu,1,history,1,HIV/AIDS,1,http://blogsinmedia.com,1,India,6,jihad,1,jinn,1,karonda,1,Kashi naresh,1,love marriage,2,Lungs cancer,1,Maharashtra,2,mahila jagat,33,Mantra,1,media marketting,1,Mumbai,2,naturopathy,1,Opposing Views,3,parents,2,peace message,59,photo,2,politics,23,porn,2,portfolio,3,power Game,1,Race chart,1,Religion and Spirituality,60,rizq,1,rose,1,s.m.masoom,7,S.M.MASUM,4,samaj,2,satish kaushik,1,shajra,1,shajra sadat,1,Shirdi,1,slut march,1,social issues,53,social media,3,society,56,sport,1,suroor fatima,1,talents,1,tea time,1,Teachings,22,The News International,2,tiger woods,1,vandana gupta,1,Varanasi,1,whatsapp,1,wikileaks,1,women issues,3,world,1,world issues,4,yoga,1,zeeshan zaidi,1,
ltr
item
S.M.MAsoom: टकराव के बीच इंसान को दुख पर फ़तह पानी है, यही चुनौती आज इंसान के सामने है।
टकराव के बीच इंसान को दुख पर फ़तह पानी है, यही चुनौती आज इंसान के सामने है।
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhCfjUjzGTYmBUYJbtGGqsCylbrQv88Xxq72nf2UEDhC2WPS9MFrWMkC-RTG0uT-kUvyGeX8MRlBf33pfcixmVQZkSgqTyswiC1NOaeN_QlfM1UCmP9avxGgnx6sjhowJHcs_llkr3r5qY/s1600/a+donkey.jpeg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhCfjUjzGTYmBUYJbtGGqsCylbrQv88Xxq72nf2UEDhC2WPS9MFrWMkC-RTG0uT-kUvyGeX8MRlBf33pfcixmVQZkSgqTyswiC1NOaeN_QlfM1UCmP9avxGgnx6sjhowJHcs_llkr3r5qY/s72-c/a+donkey.jpeg
S.M.MAsoom
https://www.smmasoom.com/2011/02/blog-post_04.html
https://www.smmasoom.com/
https://www.smmasoom.com/
https://www.smmasoom.com/2011/02/blog-post_04.html
true
8797138421869493963
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS CONTENT IS PREMIUM Please share to unlock Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy