कभी कभी हमारे जीवन में ऐसी घटनाएं घटती हैं कि जिसका सहन करना अत्यन्त कठिन होता है, ऐसे मैं हम हतोत्साहित से हो जाते हैं और एकहतोत्साहित ...

यदि आप भी इस प्रकार के लक्षण देखें तो समझ लीजिए कि एक प्रकार के हतोत्साह का सामना हो सकता है. ऐसी स्थिति अक्सर उस समय आती है, जब इंसान, अपनी कोई बहुत प्यारी वस्तु, दोस्त या रिश्तेदार को खो देता है या जब किसी चीज़ को पाने की बहुत इच्छा हो और वोह ना मिले. ऐसे व्यक्ति के स्वाभाव मैं चिडचिडापन आ जाता है , यहाँ तक की उसको मशविरा देने वाले भी बुरे लगने लगते हैं.
ऐसी स्थिति से बचने का प्रयत्न करना चाहिए और इसका तरीका यह है की केवल यह मत देखो की क्या खोया या क्या नहीं मिला ,यह भी देखो की इस संसार मैं तुमने क्या क्या पाया और दिल की गहराइयों से सोचें कि यदि यह चीज़ें हमें न मिली होती तो हम क्या करते? हमें अपनी भौतिक कमियों को बहुत बढ़ा चढ़ा कर स्वंम को परेशानी के जाल में नहीं फंसना चहिये. अक्सर लोग कहा करते हैं सुखी वोह है जो अपने से कम पैसे वालों को देखता है. इंसान की ज़रुरत कभी पूरी नहीं होती, जितना भी और जो भी उसे मिलता है उसे वोह कम लगता है. इसबात को आप इस तरह से समझ सकते हैं की एक ग़रीब व्यक्ति एक दिन जूता न होने के कारण बड़ा दुखी था कि अचानक उसे एक ऐसा व्यक्ति मिला जिसके पैर ही नहीं थे. उस समय उसने ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त किया और अपने पास जूता न होने पर संतोष कर लिया.
इसी प्रकार किसी भी काम मैं नाकामयाबी से हथोत्साहित नहीं होना चहिये, वरना कामयाबी कभी हाथ नहीं आएगी. हमें यह भी चाहिए कि नकारात्मक तत्थयों को हम बढ़ा चढ़ा कर न देखें, हमें चाहिए कि कठिनाइयों को बढ़ा चढ़ा कर प्रस्तुत करने और एक तरफ़ा मूल्याँकन से बचें.
एक बच्चा जब चलना शुरू करता है तो बार बार गिरता है, लेकिन फिर से उठ खड़ा होता है, दोबारा चलने के लिए और जल्द ही दौड़ने लगता है. अगर यही बच्चा पहली बार गिरने के बाद इस डर से की फिर से गिर जाएगा , दोबारा ना उठे तो वोह कभी नहीं चल पाएगा.
हर व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की अप्रिय घटनाएं घटती हैं. यह हम हैं कि छोटी सी बात का बतँगड़ बना कर राई का पर्वत बना देते हैं यहां तक कि हर साद्यारण सी घटना को एक असहनीय सँकट के रुप में देखने लगते हैं. हम अपनी इस आदत को बदल के ही खुश रह सकते हैं.
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जिन लोगों में मज़बूत धार्मिक आस्था है वे अधिक प्रसन्नचित होते हैं. ऐसे लोग कठिनाइयों का सामना करने में अधिक सक्षम होते हैं. इंसान को परेशानी से बाहर आने के लिए किसी मज़बूत सहारे की और विश्वास की की आवश्यकता हुआ करती है जो इश्वेर के रूप मैं उसको मिलता है. ईश्वर पर आस्था द्वारा मनुष्य अपने जीवन का अर्थ समझ लेता है. यहां तक कि यदि मनुष्य को धर्म पर अधिक विश्वास न भी हो परन्तु आध्यात्मवाद में उसकी रुचि हो, फिर भी सकारात्मक विचारों द्वारा वो अपना जीवन मधुर बना सकता है .