किसी इंसान की मदद करना, दोस्ती निभाना, रिश्तेदारियां निभाना यह सब एक नेक इंसान की पहचान है.जिसके के लिए इंसान का अमीर होना, ज़रूरी नही...
आज एक अच्छे दोस्त, अच्छे रिश्तेदार बन ने के लिए आप के पास पैसा होना बहुत ज़रूरी है.
आज लोग दोस्ती अमीर और ताक़त वर से करने की कोशिश करते हैं. रिश्तेदार अगर अमीर हो, तो वोह सबसे करीबी हो जाया करता है और अगर कहीं गरीब हुआ तो ,दूरी खुद बा खुद बढ़ जाया करती है.
आज के दौर मैं बेहतरीन दोस्त या रिश्तेदार वही है, जो आपको मंहगे तोहफे दे, वक़्त पे आपकी पैसे से मदद कर सके. एक गरीब दोस्त या रिश्तेदार किस काम का?
ऐसे मैं अक्सर इंसान दोस्तों और रिश्तेदारों से दूर अपनी ग़रीबी की वजह से भागता है. आप अगर दूर ना भी भागें तो कुछ दिन मैं दोस्त और रिश्तेदार आप की इज्ज़त करना कम कर देते हैं और आप को उनसे दूर होना पड़ता है. आप ग़रीब हैं और आपका एखलाक अच्छा है तो लोग समझते हैं किसी लालच से यह मुहब्बत दिखा रहा है. आप अमीर हैं और एखलाक भी अच्छा है, तो आप के लिए इस तरह बातें लोगों के ख्याल मैं नहीं आया करती.
महमूद की एक फिल्म आयी थी बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया. और आज यह हकीकत भी है. ऐसा नहीं इस संसार मैं सब लोग ऐसे ही हैं.बहुत से अच्छे लोग भी हैं , लेकिन अगर हैं भी तोह गिनती के.
हर धर्म, रिश्तेदारों की इज्ज़त, भाईचारा, मुहब्बत, ईमानदारी, वफादारी की सीख देता है, हम सब किसी ना किसी धर्म के मानने वाले भी हैं, लेकिन जब बात पैसे , शोहरत, और ताक़त की आ जाए, सब बेकार हो जाता है, पैसे की ताक़त सबसे बड़ी लगती है.
आज आप अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार से जाके अपनी किसी ऐसी परेशानी को बताएं,जिसमें आप को अल्लाह ना करे पैसे की ज़रुरत हो. आप का वोह दोस्त या रिश्तेदार , आप को बड़े रास्ते बताएगा, इस मंदिर मैं जाओ, उस दरगाह पे जाओ, यह करो वो करो, आपके लिए खुद भी दुआ करने की बात कहेगा, लेकिन १० रूपए आप को नहीं देगा.
यह तो है आज के दौर मैं पैसे की अहमियत. क्या मैं सही हूँ? आप अपने विचार प्रकट कर सकते हैं.
इस्लाम मैं माल (दौलत)के बारे मैं तीन हिदायतें दी गयी हैं
- किसी दूसरे के माल को हाथ ना लगाओ.
- जिसके पास दौलत ज्यादा है, वोह अपने दौलत को दुनिया की ग़ैर ज़रूरी लज्ज़तों मैं बर्बाद ना करे.
- और जिसके पास दौलत ज्यादा है वोह अपनी दौलत को इतना भी जमा ना करे की वह इंसानी ज़िन्दगी से ज़्यादा क़ीमती हो जाये.
मैंने अपनी मुफलिसी का कुछ इस तरह रखा भरम
राब्ते कम कर दिए , मगरूर कहलाने लगे